EVM Machine Vote Counting [कैसे की जाती है ईवीएम से वोटो की गिनती]

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पहली बार ईवीएम से चुनाव केरल में कराए गए

भारत में ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन उसे पहली बार मई 1982 में केरल में विधानसभा चुनाव कराए गए उस समय ईवीएम से चुनाव कराने का कानून नहीं था 1989 में इसके लिए कानून बना हालांकि कानून बनने के बाद भी कई सालों तक ईवीएम का इस्तेमाल नहीं हो सका 1998 में मध्यप्रदेश राजस्थान और दिल्ली की 25 विधानसभा सीटों पर ईवीएम से चुनाव कराए गए 1999 में 45 लोकसभा सीटों पर भी ईवीएम से वोट डाले गए हैं मई 2001 में पहली बार तमिलनाडु केरल पांडुचेरी और पश्चिम बंगाल के सभी विधानसभा सीटों पर ईवीएम से वोट डाले गए


ऐसे होती है वोटों की गिनती

ईवीएम के वोटों की गिनती कई राउंड में होती है और राउंड में 14 ईवीएम के वोट गिने जाते हैं हर राउंड के बाद एजेंट से फॉर्म 17 सी हस्ताक्षर करवाया जाता है यह एजेंट राजनीतिक पार्टियों के होते मतगणना केंद्र में उम्मीदवार या उनके एजेंट को मौजूद रहने की इजाजत रहती है मतगणना स्थल पर एक ब्लैकबोर्ड भी होता है जिसमें हर राउंड्स के बाद किस उम्मीदवार को कितने वोट मिले यह लिखा जाता है फिर लाउडस्पीकर से घोषणा की जाती है जिसे रुझान कहते हैं


पोस्टल बैलेट और सर्विस बोर्ड

पोस्टल बैलेट से मतदान इजाजत 80 वर्ष से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों दिव्यांगो   जरूरी सेवाओं  में लगे लोग एवं चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को है इन्हें पोस्ट के जरिए भेजा जाता है इसलिए इसे पोस्टल बैलेट कहते हैं चुनावी राज्य के निवासी अगर मतदान के समय दूसरे राज्य में होते तो ऐसे मतदाताओं के लिए सर्विस वोट जारी किए जाते हैं इनमें से नाया अर्धसैनिक बलों के जवान अफसर शामिल होते हैं यह लोग वैलेट का प्रिंट आउट निकाल कर डाक के जरिए भेजते


कड़ी सुरक्षा व्यवस्था

मतदान के बाद ईवीएम और बीपीपेट को स्ट्रांग रूम में रखा जाता है पैरा मिलिट्री के जवानों के पास इसकी सुरक्षा का जिम्मा होता है


कौन बनाता है ईवीएम

आयोग ने पहली बार 1977 में सरकारी कंपनी इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को ईवीएम बनाने का काम दिया इसके बाद निर्माण और परीक्षण की प्रक्रिया पूरी की गई हैदराबाद स्थित  ईसीआईएल के अलावा एक अन्य सरकारी कंपनी बेंगलुरू स्थित बीईएल  भी  ईवीएम बनाती है


विवीपैट से मिलान 

वीवीपैट मशीन एक तरह की   मशीन होती है जो ईवीएम से जुड़ी होती है मतदान करते समय आपने किसे वोट दिया उसका ब्यौरा इसमें होता है मतदान करते समय इसे देखा जा सकता है इससे एक पर्ची निकलती है जिस पर कैंडिडेट का नाम और चुनाव चिन्ह होता है यह पर्ची कुछ सेकेंड तक दिखाई देती है फिर नीचे गिर जाती है


इसलिए वीवीपैट

उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद हर निर्वाचन क्षेत्र में पांच ईवीएम और वीवीपैट में डाले गए मतों का मिलान किया जाता है राजनीतिक पार्टियों ने 50% ईवीएम और वीवीपैट मिलान की मांग की थी लेकिन चुनाव परिणाम में देरी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह मांग खारिज कर दी थी


 ईवीएम पर उठते रहे हैं सवाल

ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर समय-समय पर सवाल भी उठते रहे 2019 लोकसभा चुनाव के बाद विपक्षी पार्टियों ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे कई पार्टियों हार का ठीकरा ईवीएम पर हो चुकी है भाजपा ने कई संगठनों की मदद से ईवीएम मशीनों के साथ की जाने वाली कथित धोखाधड़ी  को लेकर देश भर में अभियान भी चलाया था कांग्रेस ,राजद, बीएसपी ,टीएमसी भी इस पर सवाल उठा चुकी है हाल के चुनावों में समाजवादी पार्टी की सूची में शामिल हो गई है

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